
तेलियाकोट में क़दीमी शब बेदारी में रात भर मातम कर पेश किया पुरसा
रायबरेली : मोहर्रम से संबंधित आखिरी प्रोग्राम तेलियाकोट में शब बेदारी कर मनाया गया। इसमें रात भर अंजुमनों, मातमदारों ने कर्बला के शहीदों का मातम कर पुरसा पेश किया। साथ ही अपने इमाम को इस वायदे के साथ रुख़सत किया कि अगर ज़िंदगी रही तो अगले साल फिर आपका गम मनाएंगे, ज़ियारत करेंगे।
हिन्दुस्तान की मशहूर शहर की मातमी अंजुमन दस्ता ए ज़ैनुल एबा क़दीम के तत्वाधान में आयोजित होने वाली ये क़दीमी शब्बेदारी इस साल भी आयोजित हुई। सबसे पहले मजलिस ए हुसैन मस्जिद साहेबुल अस्र गढ़ी वज़ीरगंज में हुई, जिसकी इबतेदा दिलदार काज़मी और शावेज़ अली ने सोज़ पढ़ के की। खास बयान मौलाना दानिश ज़ैदी ने किया। आज़ादारों को मुख़ातिब करते हुए कहा कि अल्लाह एक है। उसने अपनी सिफात के मज़हर भी बनाए एक कुरआन, एक मोहम्मद, एक मोहम्मद का वली, एक हुसैन जिन्होंने अल्लाह के बताए रास्तों पे ज़िंदगी बसर की और यही वजह रही होगी के अल्लाह के दीन की हिफाज़त के लिए जब वक़्त पड़ा तो हुसैन क़र्बला में 72 साथियों के साथ जब गए तो ये 72 नहीं एक नज़र आए। हुसैन के कहने के बावजूद की यज़ीद मेरी जान लेना चाहता है तुम सब जाना चाहो तो जा सकते हो, मगर चराग़ बुझाने के बावजूद कोई नहीं जाने को राज़ी हुआ। सब अपनी जान फ़िदा करने पे आमादा थे। मौलाना ने कहा कि अब हमारे मुल्क से अज़ा रुख़सत है और हमें ये ग़म है कि हम मौला हुसैन का गम दिल भर के नही कर सके। ना इमाम के छह माह के असगर, ना 32 साल के भाई अब्बास, ना 18 साल के बेटे अकबर, ना 13 साल के भतीजे कासिम, ना चार साल की बेटी सकीना, मुख्तसर ये कि किसी शहीद के मातम का हक़ अदा नहीं हो सका। मौला हम शर्मिंदा है, इन मसायब पे सभी आज़ादार रो रो कर पुरसा पेश करते रहे।

बाद मजलिस अलम, ज़ुल्जनाह के साथ जुलूस इमामबारगाह मरगूब हुसैन ज़ैदी मे पहुंचा। यहां नौहा पढ़ा गया। फिर जुलूस मास्टर तक़ी रज़ा के घर नौहा ख्वानी करता हुआ वज़ीरगंज स्थित बरगाह ए ज़ैनब पहुचा, जहां स्टेज अंजुमनों ने रात भर नौहा, सलाम और शहादत नामा पढ़ा। गौरी खालसा , हरदोई की अंजुमन मज़लूमिया , अंजुमन हैदरिया मनिहारपुर्, सुल्तानपुर , अंजुमन हाश्मी जायस ,अमेठी, अंजुमन मासूमिया फैज़ाबाद की अंजुमनो ने शिरकत कर नौहखवानी और सीनाजनी की, जिनके नौहों पे आज़ादारों ने कभी गिरिया किया और सलाम मुसद्दस पे अंजुमनों को दाद भी दी। कार्यक्रम का संचालन साजिद हुसैन नक़वी और वहेब नसीराबादी ने किया। सभी ज़ायरीन और मातमदारों के लिए खान पान की व्यवस्था दास्ता ए ज़ैनुल एबा क़दीम के द्वारा की गई।
मीसम नक़वी ने बताया कि शब बेदारी में सुल्तान अख्तर नक़वी, शाहिद रज़ा, मुकर्रम नक़वी, नवाब अली तक़ी, सिकंदर ज़ैदी, अस्करी नक़वी, ज़ुहा रिज़वी, आलमदार हुसैन, रज़ी हैदर, ज़ीशान अब्बास, वसी अज़हर नक़वी, मेराज मुस्तफा, शाकिर हुसैन नक़वी, शमीमूल हसन, असगर इमाम, मज़हरुल हसन, मुन्तज़िर, मोहम्मद आलम, ज़ैन नक़वी, इरशाद अहमद, जायर हुसैन रिज़वी, ज़फरुल रिज़वी, इकराम मेंहदी, ज़ीशान अहमद, इमरान रज़ा, मेहबूब अख्तर, आमिर, शादाब, नासिर हुसैन, ज़फर नसीराबादी, अली, कुमैल रिज़वी आदि मौजूद रहे।
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