लंदन। ब्रिटेन सरकार ने भारत सरकार के फैसलों पर अपनी असहमति व्यक्त की है, जिनके चलते एक सिख अलगाववादी की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच जारी गतिरोध के मद्देनजर कनाडाई राजनयिकों को नयी दिल्ली छोड़नी पड़ी है। ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफसीडीओ) के एक बयान में शुक्रवार को कहा गया कि इस कदम से राजनयिक संबंधों को लेकर वियना संधि के प्रभावी अमल पर असर पड़ा है।
इससे पूर्व कनाडा ने कहा कि उसने कनाडा में सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की जून में हुई हत्या में भारतीय एजेंट के शामिल होने के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के दावों पर तनावपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों के बीच राजनयिकों का दर्जा एकतरफा रद्द करने के संबंध में भारत की चेतावनी के बाद 41 राजनयिकों को वापस बुला लिया है। भारत के विदेश मंत्रालय ने निज्जर के मारे जाने की घटना में भारतीय एजेंट के शामिल होने के आरोप को दृढ़ता से खारिज किया है और राजनयिकों की वापसी के संबंध में वियना संधि के किसी उल्लंघन से भी इनकार किया है।
एफसीडीओ के बयान में कहा गया, ‘‘मतभेदों को सुलझाने के लिए संबंधित राजधानियों में संवाद और राजनयिकों की आवश्यकता होती है। हम भारत सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों से सहमत नहीं हैं जिनके परिणामस्वरूप कई कनाडाई राजनयिकों को भारत छोड़ना पड़ा।’’ बयान में कहा गया, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि सभी राष्ट्र राजनयिक संबंधों पर 1961 की वियना संधि के तहत अपने दायित्वों को बरकरार रखेंगे। राजनयिकों को सुरक्षा प्रदान करने वाले विशेषाधिकारों और छूट को एकतरफा हटाना वियना संधि के सिद्धांतों या प्रभावी कामकाज के अनुरूप नहीं है। हम हरदीप सिंह निज्जर की मौत की स्वतंत्र जांच में कनाडा के साथ जुड़ने के लिए भारत को प्रोत्साहित करना जारी रखेंगे।’’
अमेरिका ने भी गतिरोध पर कनाडा का समर्थन किया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि वह भारत से कनाडाई राजनयिकों की वापसी से ‘‘चिंतित’’ है। उसने उम्मीद जताई कि भारत राजनयिक संबंधों पर 1961 की वियना संधि के तहत अपने दायित्वों का पालन करेगा। भारत ने कनाडा के 41 राजनयिकों की देश से वापसी को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के उल्लंघन के रूप में ‘‘पेश’’ करने की कनाडा की कोशिशों को शुक्रवार को खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दो-तरफा राजनयिक समानता सुनिश्चित करना राजनयिक संबंधों को लेकर हुई वियना संधि के प्रावधानों के अनुरूप है।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘हम समानता के कार्यान्वयन को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के उल्लंघन के रूप में पेश करने के किसी भी प्रयास को खारिज करते हैं।’’ मंत्रालय ने कहा, ‘‘हमारे द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति, भारत में कनाडाई राजनयिकों की बहुत अधिक संख्या और हमारे आंतरिक मामलों में उनका निरंतर हस्तक्षेप नयी दिल्ली और ओटावा में पारस्परिक राजनयिक उपस्थिति में समानता को वांछित बनाता है।’’
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