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मध्य प्रदेश की चिंगारी का असर लोकसभा में इंडिया गठबंधन पर पड़ना तय

सपा मुखिया लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारा पर दे चुके संकेत, उहापोह में कांग्रेस

नई दिल्ली : मध्य प्रदेश की चिंगारी का असर विपक्षी गठबंधन पर पड़ना तय है। लोकसभा चुनाव के भले ही अभी समय हो, लेकिन अभी से राजनीति गलियारों में चर्चा होने लगी है। सबसे अधिक उहापोह में कांग्रेस है। हालांकि मामले को सुलटाने के लिए हाईकमान की ओर से पूरा प्रयास किया गया। नतीजतन प्रदेश अध्यक्ष तक को बैकफुट पर आना पड़ा। उधर, अखिलेश ने भी अपनी ओर से कदम बढ़ाते हुए पार्टी वरिष्ठ नेता द्वारा किए गए ट्वीट को हटवा दिया। वर्तमान में दोनों पार्टियों द्वारा बाहरी तौर पर भले ही सबकुछ सामान्य दिखाया जा रहा हो, लेकिन अंदरखाने में उधेड़बुन शुरू हो गई है। इसका संकेट सपा मुखिया अखिलेश यादव यह कहकर दे चुके हैं कि मध्य प्रदेश का फार्मूला हम लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में अपनाएंगे। ऐसे में कांग्रेस के आगे की राह आसान होती नहीं दिखाई दे रही है।

कांग्रेस के ‘सॉरी’ से नरम पड़े अखिलेश के तेवर

समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच मध्य प्रदेश में सीट बंटवारे को लेकर तल्खी अब नरम पड़ गई है। खुद अखिलेश यादव ने कहा है कि उन्हें कांग्रेस के बड़े नेता की ओर से बातचीत कर हल निकालने का मैसेज आया है। ऐसे में यह सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या राहुल गांधी अपने ही नेताओं से परेशान है। साथ ही उन्हें लोकसभा चुनाव की चिंता भी सता  रही है। ऐसे में कोई भी ऐसी गलती नहीं करना चाहते हैं, जिसका असर लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन पर पड़े। उधर, मध्य प्रदेश में टिकटों के लेकर तल्खी के बीच समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के तेवर अब नरम पड़ गए हैं। अखिलेश के नरम तेवर के पीछे कांग्रेस पार्टी के सबसे बड़े नेता की ओर से भेजा गया वो संदेश है, जिसमें समाजवादी पार्टी के मुखिया से बातचीत करने का आश्वासन दिया गया है। बताया जा रहा है कि राहुल गांधी ने आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए समाजवादी पार्टी के साथ विवाद को विराम देना ही ठीक समझा है। इससे साफ पता चल रहा है कि अंदरखाने में कुछ भी हो लेकिन दोनों दल बाहरी तौर पर ऐसा कुछ नहीं दिखाना चाहते हैं, जिससे आगे की राह मुश्किल हो।

अखिलेश बोले, बैठकर सुलझा लिया जाएगा सीट का विवाद

दरअसल, शनिवार को हरदोई पहुंचे अखिलेश यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनके पास कांग्रेस के सबसे बड़े नेता का मैसेज आया है। दोनों पार्टियों के बीच सीट को लेकर जो विवाद हैं उसे बैठकर सुलझा लिया जाएगा। इसके लिए अखिलेश यादव ने डॉ राम मनोहर लोहिया और मुलायम सिंह का हवाला देते हुए कहा कि इन दोनों नेताओं ने कहा था कि अगर लगे की कांग्रेस कमजोर और उसे सपा की जरूरत है तो साथ देने से मना मत करना। इससे काफी कुछ तक स्थितियां साफ हो गई। आगामी लोकसभा चुनाव में सपा भी मध्य प्रदेश के फार्मूले के आधार पर सीट का बंटवारा करेगी।
अगर अखिलेश यादव इंडिया गठबंधन में यूपी की सीट बंटवारे के दौरान मध्य प्रदेश में जनाधार वाले फॉर्मूले का जिक्र किया तो कांग्रेस अभी जो 20-25 सीट की उम्मीद लगाए बैठी है उसे बड़ा झटका लग सकता है। लोकसभा चुनाव के दौरान भी अगर अखिलेश यादव अपनी बात अड़े रहे तो कांग्रेस को दो से तीन सीटों पर ही संतोष करना पड़ सकता है।

अजय राय के भी तेवर पड़े नरम

वहीं, यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के तेवर भी नरम पड़ गए हैं। उन्होंने कहा है कि वो सपा प्रमुख अखिलेश यादव की ओर से की गई टिप्पणी पर कुछ नहीं कहना चाहते हैं। दरअसल, सपा प्रमुख के चिरकुट वाले बयान पर अजय राय ने अखिलेश यादव को लेकर कहा था कि जिसने अपने पिता का सम्मान नहीं किया वो औरों का क्या करेगा। पार्टी हाईकमान ने अजय राय को दिल्ली भी तलब किया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव को लेकर तो कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में सुलह के संकेत जरूर मिल चुके हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव में यह जिन्न फिर से जाग सकता है। विश्लेषकों ने कहा कि लोकसभा चुनाव में अगर अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश में जनाधारा वाले फॉर्मूले का हवाला दे दिया तो कांग्रेस के समाने मुश्किल खड़ी हो सकती है। मध्य प्रदेश को लेकर जारी विवाद के बीच खुद अखिलेश यादव इस बात के संकेत दे चुके हैं।

रायबरेली और अमेठी की धमकी आई काम

सपा मुखिया के साथ कांग्रेसी नेताओं द्वारा किए गए व्यवहार से सपाइयों में जबरदस्त आक्रोश है। इसकी एक बानगी रायबरेली और अमेठी में देखने को मिली, जहां पर कार्यकर्ताओं ने इंटरनेट मीडिया पर दोनों जगह प्रत्याशी उतारने तक की वकालत करने लगे। दूसरी ओर सीट को लेकर उठे विवाद के बीच कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के प्रवक्ताओं और अन्य नेताओं के तेवर भी नरम पड़ गए हैं। अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी के प्रवक्ता आईपी सिंह की ओर से किए गए उस विवाद ट्वीट को भी डिलीट करा दिया है जिसमें उन्होंने कथित तौर पर राहुल गांधी को लेकर अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया था।