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स्वामी पर मनोज का तीखा प्रहार, सपा में अंतर्कलह

स्वामी प्रसाद के ट्वीट से सपा के भीतर गर्म हुई राजनीति विधानसभा सचेतक और पूर्व मंत्री ने बयान को बताया बकवास

रायबरेली। सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्या द्वारा देवी लक्ष्मी को लेकर सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर किए गए ट्वीट का असर पार्टी के भीतर भी होने लगा है। विधानसभा में सपा के मुख्य सतेचक और ऊंचाहार विधायक मनोज कुमार पांडे ने स्वामी के बयान को बकवास बताया है। साथ ही उन्हें सनातन का पाठ पढ़ाया है। इसके चलते सपा के भीतर भूचाल सी स्थिति हो गई है। स्वामी के बयान के बाद एमपी विधानसभा चुनाव में जोर-शोर से जुटी समाजवादी पार्टी की रणनीति को कहीं न कहीं झटका लगा है। समाजवादी पार्टी पहले ही साफ कर चुकी है कि स्वामी प्रसाद ने जो भी कहा उससे पार्टी का कोई सरोकार नहीं है। वहीं उनके खिलाफ विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं। इसी के चलते यूपी विधानसभा में समाजवादी पार्टी के सचेतक और पूर्व कैबिनेट मंत्री मनोज पांडे ने अपनी ही पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य पर जमकर हमला बोला है।
एमपी में चुनाव प्रचार के लिए जाते समय मनोज पांडेय ने दीपावली पर स्वामी प्रसाद मौर्य के मां लक्ष्मी के ऊपर दिए बयान को उनका व्यक्तिगत बयान बताया। कहा कि यह बयान पार्टी का बयान नहीं है। पार्टी के कई बड़े नेता यह स्पष्ट कर चुके हैं कि यह उनका व्यक्तिगत बयान है। कहा कि संविधान भी सभी धर्मों को मानने की स्वतंत्रता देता है लेकिन कोई भी व्यक्ति दूसरे के धर्म के बारे में अपमानजनक बातें कहे यह अधिकार भी किसी को नहीं है। स्वामी के बयान को बकवास बताते हुए मनोज पांडेय ने कहा कि कोई बयान हो तो उसका प्रति उत्तर दिया जाता है। बकवास का आखिर क्या उत्तर दिया जा सकता है। सवाल बड़ा यह है कि जब 2017 से लेकर 2022 तक वह मलाई चाट रहे थे। केसरिया पहन के उचक-उचक के जो नारे लगा रहे थे। वह कौन से नारे लगा रहे थे, क्या उत्तर प्रदेश के लोगों ने उसे नहीं देखा आज ही उनके ज्ञान के चक्षु खुले हुए हैं। प्रदेश की जनता सब जानती है। समाजवादी पार्टी को इससे कोई लेना देना नहीं है। सिंदूर लगाना भी एक सनातन है। दीपावली मनाना भी सनातन है। दीप जलाना भी सनातन है। बेटी सनातन मान रही है पिता नहीं मान रहा है। यह तो उनसे पूछना चाहिए कि उनकी बेटी मान रही है और वह नहीं मान रहे। सबसे पहले तो अपने घर से समझा कर चलना चाहिए यह अलग बात है कि कोई किसी धर्म को मानता है या किसी धर्म को छोड़ दिया है। भारत देश में किसी धर्म के खिलाफ बोलने का अधिकार किसी को नहीं है। यहां स्वायतता है , स्वतंत्रता है किसी भी धर्म को मानने का अधिकार है।