शहीद स्मारक पर जिला स्तरीय वालीबाल प्रतियोगिता में उपविजेता टीम को नहीं मिला पुरस्कार

शशांक सिंह राठौर
रायबरेली। 7 जनवरी 1921 गोलीकांड। जिले में यह एक ऐसा मंजर रहा कि हर किसी को जलियावाला बाग कांड की याद दिलाता है। इतिहासकार भी इसे दूसरा जलियांवाला बाग का दर्जा देते हैं। सई नदी के किनारे लगान का विरोध कर रहे निहत्थे किसानों को अंग्रेजों ने घेर लिया। इसके बाद इतनी गोलियां चली कि हर तरफ सिर्फ मौत का मंजर दिखाई दे रहा था। इस गोलीकांड में हजारों की तादाद में किसान बलिदान हो गए थे। इन्ही बलदानियों की याद में प्रशासन हर बार शहीद स्मारक मुंशीगंज में शहीद मेला का आयोजन करता है। इसमें कहने के लिए तो सभी विभागों की भागीदारी होती है। लेकिन हकीकत में यह सिर्फ खानापूरी भर रह गई है। आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि कभी सात दिनों तक चलने वाला मेला अब एक दिन भी बमुश्किल से रहता है। इन सबके बीच विभागीय जिम्मेदार रश्मादायगी करते हैं।

एक ऐसा ही वाक्य खेल विभाग की ओर से किया गया, जिसमें शहीदों की याद में जिला स्तरीय वालीबाल प्रतियोगिता का आयोजन हुआ।

खिलाड़ियों ने पूरी क्षमता के साथ प्रतिभाग किया। फाइनल मुकाबले भी हुआ, लेकिन जब पुरस्कार वितरण का समय हुआ तो विजेता टीम के खिलाड़ियों को देखकर सभी मुंह फेर लिया। काफी देर तक उपविजेता टीम के खिलाड़ी इंतजार करते रहे।

अंत में थक हारकर सभी खिलाड़ी कोसते हुए चले गए। वही खेल विभाग के जिम्मेदार ग्रुपिंग फोटो के साथ उपलब्धियों का जरूर ढोल बजाते रहे। वही खेल विभाग का खेल खिलाड़ियों के साथ लोगो में बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
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